शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

पहली शर्त है आपका अच्छा आदमी होना

मैं वैचारिक रूप से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन एकात्म मानववाद से प्रभावित हूं.साथ ही मानवेन्द्र नाथ राय का नवमानवता वाद और डॉ राम मनोहर लोहिया का भारतीय समाजवाद भी, लेकिन मुझे लगता है िक एकात्म मानववाद उनसे ज्यादा श्रेयस्कर है.साम्यवाद ने मुझे कहीं से भी प्रभावित नहीं किया. लेकिन ऐसा नहीं कि वामपंथी भले आदमी नहीं हो सकते या जिन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन को नहीं पढ़ा है. या जो उससे प्रभावित नहीं हैं, वे भले आदमी नहीं हो सकते. भले आदमी तो हर विचारधारा में हो सकते हैं. एक उदाहरण. लखनऊ पत्रकारिता की दो महान विभूतियों का कार्यक्षेत्र रहा. एक घनघोर वामपंथी-श्रद्धेय अखिलेश मिश्र. दूसरे घनघोर संघी- आदरणीय वचनेश त्रिपाठी.दोनों एक दूसरे के मित्र थे। वचनेश जी अखिलेश जी से राष्ट्रधर्म के लिए लिखवाते थे। नाना जी देशमुख ने अखिलेश जी से एक बार जनसंघ का घोषणा पत्र बनवाया था. पत्रकारिता का विधिवत शिक्षण मैंने अखिलेश जी से हासिल की. उनके ही श्रीमुख से वचनेश जी की और उनकी मित्रता के बारे में जाना.तमाम किस्से सुने. फिर कुछ ही महीने बाद आदरणीय वीरेश्वर द्विवेदी के सानिध्य में राष्ट्रधर्म में कार्य करने का सौभाग्य मिला और वहीं वचनेश जी से परिचय हुआ. और उनसे बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त किया.खास तौर से क्रांतिकारियों के बारे में. एक उदाहरण और जब मैं राष्ट्रधर्म में था उसी दौरान ग्वालियर से प्रभात झा एक दिन के लिए लखनऊ आए. तब वह दैनिक स्वदेश में थे और उन्हें अयोध्या आंदोलन की कुछ तस्वीरें चाहिए थीं। उन्होंने फोन कर टाइम्स ऑफ इंडिया में कार्यरत कार्टूनिस्ट इरफान जी को फोन किया.इरफान भाई अपने बजाज एम 80 लेकर तुरंत उनसे मिलने पहुंच गए. दोनों में गजब की आत्मीयता.प्रभात जी मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे. अभी राज्यसभा सदस्य हैं और इरफान भाई का तो जवाब नहीं.देशवासियों के सबसे पसंदीदा कार्टूनिस्ट हैं. इस बारे में मुझे प्रभात जी (मुझे पत्रकारिता की मुख्य धारा में लाने वाले, वर्तमान में अमर उजाला गोरखपुर के संपादक)का यह कथन याद आता है-अच्छा कलाकार,अच्छा पत्रकार या अच्छा जनसंघी,अच्छा वामपंथी,या कुछ भी अच्छा बनने के लिए पहली शर्त है आपका अच्छा आदमी होना.

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