शनिवार, 27 अप्रैल 2013

पहले प्यार के मायने

पहला प्यार क्या होता है। एक पुराना गाना है-लेके पहला पहला प्यार। भर के आंखों में खुमार। जादूनगरी से आया है कोई जादूगर। मतलब पहला प्यार वह होता जब पहली बार कोई पुरुष या स्त्री एक दूसरे के प्रति इतना आकर्षित होते हैं कि उसकी देह को ब्रेल लिपि में पढ़ने की इच्छा करने लगते हैं। मुझे लगता यह दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है। स्त्री के रूप में हमारा पहला प्यार हमारी मां होती है। जो हमें देखे बगैर जब हम गर्भ में होते हैं हमसे असीम प्रेम करने लगती है। उठते बैठते हर समय ध्यान रखती है कि गर्भस्थ शिशु को किसी तरह का कष्ट न हो। पुरुष के रूप में हमारा पहला प्यार पिता होता है। मां की तरह वह भी बगैर देखे ही हमें प्यार करने लगता है। हमारे लिए प्यारा सा नाम सोचने लगता है। दोनों यह नहीं जानते कि संतान लड़की होगा या लड़का, इसलिए दोनों तरह के नाम सोचते हैं। दोनों अपने बच्चे को वह बनाना चाहते हैं जो वह खुद नहीं बन पाए। दोनों अपने बच्चों को वह सब देना चाहते हैं, जो उन्हें बचपन में नहीं मिला। तात्पर्य यह कि हमारा पहला प्यार हमारे माता पिता होते हैं। उसी तरह हम जिस गांव में जिस शहर में पैदा होते हैं। वह भी हमारा पहला प्यार होता है। आदमी मरते दम तक न मां-बाप को भूल पाता है न अपने बचपन के शहर को। कभी कभी जब हम अकेले होते हैं, परेशानियों से घिरे होते हैं तो हमें मां बाप की याद बेहद सताती है। इसी तरह कुछ खास मौके पर अपने गांव-शहर की याद भी कुछ उसी तरह का जुल्म ढाती है। जब जब गर्मी की छुट्टियां आती हैं। बच्चे घर जाते हैं। मुझे सुल्तानपुर याद आने लगता है। जी चाहता है। उड़कर पहुंच जाऊं। दरअसल मेरी दिक्कत यह है कि सुलतानपुर मेरे बचपन का प्यार और यार नहीं है बल्कि जवानी का भी है। मैंने अपना गृहनगर 35 का हो जाने के बाद छोड़ा। इसलिए यह भी दिक्कत है कि अब किसी और से दिल भी नहीं लगा पाता हूं।

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