सोमवार, 29 अप्रैल 2013

कुंडा के डीएसपी हत्याकांड का सच

कुंडा के डीएसपी हत्याकांड में राजाभइया को सीबीआई क्लीन चिट दे चुकी है। देनी ही थी क्योंकि डीएसपी को मारने वाले प्रधान नन्हे यादव का बेटा है और यह बात साबित हो चुकी है। अब सवाल उठता है कि डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने राजा भइया के खिलाफ जो तहरीर दी वह क्यों दी। वह तहरीर परवीन आजाद ने लिखी भी नहीं थी। बल्कि कुंडा के पूर्व सीओ खलीकुर जमा ने वह तहरीर लिखी थी और उसपर परवीन के मुताबिक उन्होंने केवल दस्तखत किए थे। लखनऊ से प्रकाशित कैनविज टाइम्स के 29 अप्रैल के अंक में संजीदा पत्रकार प्रभात रंजन दीन की रिपोर्ट छपी है। वह रिपोर्ट साभार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं- कुंडा हत्याकांड का सबसे बड़ा रहस्य खुल गया है कि सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद की संदेहास्पद तहरीर लिखने वाला व्यक्ति कौन था। मरहूम सीओ की पत्नी ने सीबीआई के समक्ष यह स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने बिना देखे तहरीर पर हस्ताक्षर कर दिए थे। सीओ की पत्नी की तहरीर में ही यह बताया गया था कि सीओ की हत्या राजा भैया ने कराई थी और तभी इतना बावेला मचा कि मामले की जांच सीबीआई से करानी पड़ी। लेकिन सीबीआई ने उस तहरीर को अपनी जांच में प्रामाणिक नहीं पाया। अब तो सीओ की पत्नी ने भी सीबीआई को यह बयान दे दिया है कि वे मौके पर नहीं थीं, लिहाजा उन्हें घटना के बारे में सटीक जानकारी नहीं थी। तहरीर किसी और व्यक्ति ने लिखी थी, उन्होंने केवल उस पर हस्ताक्षर किए थे। सीबीआई ने यह भी पता लगा लिया है कि संदेहास्पद तहरीर लिखने वाला व्यक्ति कौन था। तो आप भी सुन लें... परवीन आजाद की तहरीर लिखने वाला व्यक्ति कुंडा का पूर्व सीओ खलीकुर जमा था। खलीकुर जमा ही जियाउल हक के पहले कुंडा में सीओ थे। अभी वे अम्बेडकर नगर के सर्किल अफसर हैं। कुंडा के पूर्व सीओ खलीकुर जमा ने ऐसी तहरीर क्यों लिखी थी? किसके इशारे पर लिखी थी? क्या वह घटनास्थल पर मौजूद थे? और उन्होंने सीबीआई को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी थी? यह सीबीआई की छानबीन का विषय है। लेकिन यह तय हो गया है कि कुंडा हत्याकांड के पूरे घटनाक्रम को एक खास दिशा में मोडऩे की सुनियोजित साजिश रची गई थी। अब सीबीआई कुंडा के पूर्व सीओ खलीकुर जमा से पूछताछ करने की औपचारिकताओं में लगी हुई है। 'कैनविज टाइम्स'ने आपको पहले भी बताया था कि कुंडा में सीओ जियाउल हक की हत्या के बहाने उत्तर प्रदेश सरकार को साम्प्रदायिकता के आधार पर अस्थिर करने की योजना थी। सीओ की विधवा के हस्ताक्षर से जो तहरीर दी गई थी, वह इसी साजिशी इरादे से बुनी गई थी। परवीन अपनी ही तहरीर में लिखे गए तथ्यों को स्पष्ट नहीं कर पाईं। सीबीआई जांच में भी तहरीर में लिखे गए तथ्यों की कोई प्रामाणिकता नहीं पाई गई। अब सीबीआई की जांच का विषय यह भी है कि सीओ हत्याकांड के बहाने कौन शख्स अखिलेश यादव की सरकार को हिलाने की साजिश में लगा था और उसके साथ अन्य कौन लोग तिकड़म में शामिल थे? परवीन आजाद की तहरीर में लिखा गया था कि सीओ जियाउल हक की हत्या राजा भैया के इशारे पर उनके लोगों ने की। दो मार्च की शाम को प्रधान की हत्या के बाद बलीपुर पहुंचे सीओ को गुलशन यादव, हरिओम शंकर श्रीवास्तव, रोहित सिंह और गुड्डू सिंह ने राजा भैया के इशारे पर लाठी-डंडे व सरिया से पीटा। जब वह गिर गए तो गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। राजा भैया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने में यही तहरीर आधार बनी। तहरीर के जरिए परवीन आजाद ने कहा था कि उनके पति को तीन गोलियां लगी थीं, उन्होंने खुद देखा था कि उनके पति के पैर में दो गोलियां और एक गोली सीने में लगी थी। यह बात सफेद झूठ पाई गई। क्योंकि सीओ को एक ही गोली लगी थी। सीबीआई की जांच में यह आधिकारिक तौर पर पुष्ट हो गया सीओ जियाउल हक की हत्या प्रधान नन्हे यादव के बेटे योगेंद्र यादव उर्फ बबलू ने की थी। सीबीआई ने वह राइफल पहले ही बरामद कर ली थी जिससे सीओ को गोली मारी गई थी। बाद में वह गोली भी बरामद कर ली गई, जिसे योगेंद्र ने छिपा कर रख दिया था। सीबीआई ने उस साजिश का भी पर्दाफाश कर दिया जिसके तहत योगेंद्र को नाबालिग साबित करने का कुचक्र रचा गया था। मतदाता सूची में नाम पाए जाने के बाद सीबीआई ने उसका वोटर आईडी कार्ड भी बरामद कर लिया। बाद में स्कूल के प्राचार्य ने भी किशोर न्यायालय को योगेंद्र की उम्र बताई और उसके बालिग होने की आधिकारिक पुष्टि की। कुंडा हत्याकांड जितनी गुत्थियां लिए नहीं था उससे अधिक गुत्थियां हत्याकांड के बाद की साजिशों में उलझी हैं। लेकिन उसके सिरे भी अब साफ-साफ नजर आने लगे हैं। हत्याकांड के खुलासे के साथ-साथ साजिश-कांड का खुलासा भी उतना ही जरूरी हो गया है, क्योंकि ऐसे तत्वों का चेहरा सामने आना ही चाहिए जो किसी भी घटना में चौकड़ी जमा कर धर्म, जाति और राजनीति की गंदगी फेंटने का काम शुरू कर देते हैं। इसमें नेता, पत्रकार, पुलिस और कानूनदां सब शामिल हैं। आपको याद ही होगा कि सीओ जियाउल हक की हत्या के बाद प्रदेश के कद्दावर मंत्री आजम खान ने यह बयान जारी किया था कि इस घटना में जो कोई भी दोषी होगा, उसे जरूर पकड़ा जाएगा। प्रदेश के लोगों को भी यही उम्मीद है कि सीबीआई की जांच से कुंडा हत्याकांड और उस हत्याकांड के समानान्तर चले षडयंत्र-कांड के दोषियों को जरूर पकड़ा जाएगा। चलते-चलते एक और रोचक जानकारी आपको दे दें। कुंडा हत्याकांड के सिलसिले में सीबीआई पुणे-लिंक तलाश रही है। कौन हैं वे लोग जो लखनऊ की जेल में बंद लोगों से पुणे से जानकारियां ले रहे हैं। कुंडा हत्याकांड में जेल में बंद कुछ लोग पुणे के कुछ लोगों से मोबाइल फोन से बातें करते पकड़े गए हैं। सीबीआई अब पुणे-लिंक की छानबीन कर रही है। सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि हत्याकांड में पकड़े गए गुड्डू और उसके भाई राजीव पुणे के कुछ लोगों से बातें करते पाए गए हैं। अपने सम्बोधन में ये 'क्राइम की जय'कहते हैं, फिर इनकी बातें आगे बढ़ती है। सीबीआई को सर्विलांस में यह पता चला है कि पुणे के जिन लोगों से गुड्डू और राजीव की बातें हो रही थीं, वे कौशाम्बी के रहने वाले हैं। वे पुणे में क्या करते हैं और उनकी बातचीत का कुंडा हत्याकांड से कोई अंतरसम्बन्ध है कि नहीं इसकी छानबीन की जा रही है।

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